श्री शिवनंदन गिरि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय

Affiliated to Uttar Pradesh Board of Secondary Education

शैक्षणिक

Foundation Stage

आधार स्तर

कक्षा नर्सरी से कक्षा द्वितीय तक

(आयु 3 से 8 वर्ष

Preparatory Stage

तैयारी स्तर

कक्षा तृतीय से कक्षा पंचम तक

(आयु 8 से 11 वर्ष)

  • यूपी बोर्ड एनसीईआरटी पाठ्यक्रम
Middle Stage

मिडिल स्तर

कक्षा छठी से कक्षा आठवीं तक

(आयु 11 से 14 वर्ष)

  • यूपी बोर्ड - एनसीईआरटी पाठ्यक्रम
Secondary Stage

माध्यमिक स्तर

कक्षा नवमीं से कक्षा बारहवीं तक

(आयु 14 से 18 वर्ष)

  • यूपी बोर्ड - एनसीईआरटी पाठ्यक्रम

* विद्यालय स्थापना वर्ष- जुलाई 1958 ई.

* समिति का पंजीकरण- 24 मार्च 1966 ई.

* अस्थाई मान्यता वर्ष- मार्च 1974 ई.

* स्थाई मान्यता वर्ष- अगस्त 1974 ई.

* सरकार द्वारा अनुदानित वर्ष- मार्च 1991 ई.

विद्यालय संस्थापक
स्वर्गीय शिवशंकर गिरि

एक प्रेरणास्पद व्यक्तित्व, जिनका जीवन समर्पण, सेवा और नेतृत्व की मिसाल रहा।

स्वर्गीय शिव शंकर गिरी जी एक दूरदर्शी और प्रगतिशील किसान के रूप में जनपद बलिया में अत्यंत सम्मानित थे। उन्होंने कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर न केवल अपनी पैदावार बढ़ाई, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों को भी नवाचारों के लिए प्रेरित किया। उनकी सोच थी कि किसान आत्मनिर्भर बने और आर्थिक रूप से सशक्त हो। इसी सोच ने उन्हें एक आदर्श कृषक के रूप में स्थापित किया।

गिरी जी ने बलिया जिले की प्रतिष्ठित ग्रामसभा सोनबरसा का लगातार 18 वर्षों तक नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में गांव ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। उन्होंने हमेशा जनहित को सर्वोपरि रखा और सोनबरसा को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

गिरी जी चार बार निर्विरोध उत्तर प्रदेश सहकारी कृषि एवं ग्राम विकास बैंक (भूमि विकास बैंक) के अध्यक्ष चुने गए। उनके नेतृत्व में बैंक ने किसानों और ग्रामीण समुदाय के लिए अनेक लाभकारी योजनाएं लागू कीं, जिससे उनकी आजीविका में सुधार हुआ। यह उनके सामाजिक प्रभाव और नेतृत्व क्षमता का सजीव प्रमाण है।

स्वर्गीय गिरी जी सदैव गरीबों, वंचितों और पीड़ितों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे। न्याय और समानता में उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने हर वर्ग के लोगों को सम्मान और सहयोग प्रदान किया, जिससे वे सभी के हृदय में विशेष स्थान रखते थे। उनका जीवन धार्मिक समभाव की मिसाल था। वे सभी धर्मों के प्रति सम्मान और स्नेह का भाव रखते थे, जिससे सभी समुदायों में उनके प्रति गहन श्रद्धा थी। उनके इस दृष्टिकोण ने सामाजिक समरसता को मजबूत किया।

गिरी जी का स्वभाव अत्यंत शांत, सौम्य और मृदुभाषी था। उनकी वाणी में सहजता और विचारों में गहराई थी। वे सभी वर्गों में लोकप्रिय थे और जनता के साथ गहरा जुड़ाव रखते थे। एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के बावजूद गिरी जी का देश के तीन प्रधानमंत्रियों से सीधा संवाद और संबंध था। यह उनकी असाधारण कार्यशैली और प्रभाव का प्रमाण है, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। गिरी जी ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम किया। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके मधुर संबंध थे। उनके लिए समाज का कल्याण सर्वोपरि था, जिससे वे एक सच्चे जननेता के रूप में पहचाने जाते थे।

वे शिक्षा के महत्व को भलीभांति समझते थे। उन्होंने अपने प्रयासों से विद्यालयों की स्थापना कर न केवल लड़कों बल्कि लड़कियों को भी शिक्षा का अवसर दिलाया। उनका मानना था कि "एक बालिका की शिक्षा दो परिवारों को शिक्षित करती है"। उन्होंने शिक्षा को समाजिक परिवर्तन का साधन माना और उसे प्राथमिकता दी।

Students reading
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विद्यालय के प्रबंधक श्री अरविंद कुमार सिंह

बलिया के शिवनंदन गिरी पूर्व माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर के प्रांगण में विद्यालय के संस्थापक शिव शंकर गिरी की पुण्यतिथि मनाई गई। मुख्य अतिथि बलिया के सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त ने विद्यालय भवन का लोकार्पण किया। इसके बाद विद्यालय के बच्चों द्वारा बनाई गई विज्ञान प्रदर्शनी का भी सांसद ने अवलोकन किया। बलिया सांसद ने कहा कि संसद से बड़ी ताकत समाज के लोगों की होती हैं। इन्हीं लोगों के द्वारा सांसद बनाया जाता है।


उन्होंने कहा कि शिव शंकर गिरी वास्तव में एक किसान तथा सामाजिक व्यक्ति थे। वह हमेशा लोगों के सुख-दुख में साथ रहते थे। उनकी अभिलाषा थी कि यहां के गरीब लोगों को शिक्षित किया जाए। जिससे समाज आगे बढ़े। सांसद ने विद्यालय के व्यायामशाला के निर्माण कराने की घोषणा किया। इसके साथ ही सांसद ने मुख्य सड़क से विद्यालय तक सहायक सड़क बनवाने की घोषणा किया।

सुविधाएं

विज्ञान

वाणिज्य

कला

कंप्यूटर प्रयोगशाला

खेलकूद

पुस्तकालय

डिजिटल कक्षा

प्रायोगिक प्रयोगशाला

तस्वीरें

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